Best Love Shayari
तुम पूछ लेना सुबह से, न यकीन हो तो शाम से
ये दिल धड़कता है तेरे ही नाम से।
💜 Love Shayari 💜
मैं लव हूँ पर मेरी बात तुम हो,
और मैं तब हूँ जब मेरे साथ तुम हो।
❤ Best Love Shayari ❤
तू चाँद मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशिया हमारा होता।
लोग तुझे दूर से देखा करते और
सिर्फ पास रहने का हक हमारा होता।
🌹 लव शायरी 🌹
जब खामोश आँखों से बात होती है,
तो ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तेरे ही ख्यालों में खोये रहते हैं,
न जाने कब दिन और कब रात होती है।
💕 Sad Love Shayari 💕
मोहब्बत कभी किसी की इजाज़त की मोहताज नहीं,
ये हमेशा से होती चली आई है,
और हमेशा होती रहेगी।
तेरे दिए हुए जख्म धीरे धीरे भर जायेंगे,
बस तू जमाने से जिक्र न करना,
बहुत शुक्रिया है तेरा दर्द देने के लिये,
बस तू मेरी फ़िक्र न करना।
💦 Hindi Shayari 💦
जरा सी बदमाश जरा सी नादान है तू,
लेकिन ये भी सच है की मेरी जान है तू।
💖 शायरी 💖
अब तो बिसलेरी की बोतल भी किंग फिशर जैसे लगने लगी है,
और तुझे देख कर अब स्प्राइट भी चढ़ने लगी है।
🌹 लव शायरी 🌹
ये जिंदगी चाहे कितने पल की भी मिले,
बस यही दुआ है बस तेरे संग मिले।
💜 Shayari In Hindi 💜
चाँद को भी मिल गई चाँदनी,
अब सितारों का क्या होगा,
अगर मोहब्बत एक से ही करली,
तो बाकी हज़ारों का क्या होगा।
बदल जाओ वक्त के साथ
बदल जाओ वक्त के साथ
या फिर वक्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसो
हर हाल में चलना सीखो
समंदर को गुमान!
सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है।
पहले ही चल दिए आंसू
लिखना था कि
खुश हैं तेरे बगैर भी यहां हम,
मगर कमबख्त...
आंसू हैं कि कलम से
पहले ही चल दिए।
भटक रहा था वो
तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धड़क रहा था वो।
प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है,
आंसू मेरे थे और सिसक रहा था वो।
शिकवा-ए-गम किससे कहें
अब जानेमन तू तो नहीं,
शिकवा -ए-गम किससे कहें
या चुप हें या रो पड़ें,
किस्सा-ए-गम किससे कहें।
मस्त शायरी
जो दिल के करीब थे ,वो जबसे दुश्मन हो गए
जमाने में हुए चर्चे ,हम मशहूर हो गए
शायरी
अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
ये कैसी रिहाई?
सिर्फ एक सफ़ाह
पलटकर उसने,
बीती बातों की दुहाई दी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी
रिहाई दी है।
-गुलज़ार
बेकार ही खुल गया
बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ज़ार खुल गया
मैं आज उसके सामने बैठकर बेकार खुल गया। -मुनव्वर राणा
वो दिल नहीं है
जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं है, वो दिल नहीं है, दिल नहीं है, दिल नहीं है।
मैं फूंक देना चाहता हूं
बहुत कुछ है जिसे मैं फूंक देना चाहता हूं...
तुम ज़माने के हो
तुम ज़माने के हो हमारे सिवाय
हम किसी के नहीं, तुम्हारे हैं
वो परिंदा गुरूर नहीं करता
वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता
जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है
कोई राय न बनाना
मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा तेरी राय भी...!
आंसू
एक आंसू भी
हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं
आंखों का समुंदर होना
-मुनव्वर राणा
तुझसे गिला नहीं
मैं तो इस वास्ते चुप हूं कि तमाशा न बने
और तू समझता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं!
उठता नहीं धुआं
चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआं।
-गुलजार
तनहाई ने थामा हाथ
छोड़ दिया मैंने अपने दिल का साथ,
प्यार ने थाम लिया है तनहाई का हाथ।
इतना तो गुरूर है मुझे आज
भले अहसासों ने छोड़ा, तनहाई न होगी दगाबाज़।
दोबारा मोहब्बत!
तमु लौटकर आने की तकलीफ दोबारा मत करना,
हम एक बार की गई मोहब्बत दोबारा नहीं करते!
वो लहू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
-मिर्जा ग़ालिब
रिश्ते तरसते हैं जगह को
ख्वाहिशों से भरा पड़ा है मेरा घर इस कदर
रिश्ते जरा-सी जगह को तरसते हैं।
-गुलज़ार
शिकायत हवा से
कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से,
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है
उसकी ख्वाहिश किसे है
मिल सके जो आसानी से
उसकी ख्वाहिश किसे है
जिद्द तो उसकी है जो
मुकद्दर में लिखा ही नहीं है।
मरने के लिए मोहब्बत!
परवाने को शमा पर जलकर
कुछ तो मिलता होगा
यूं ही मरने के लिए कोई
मोहब्बत नहीं करता...
दुश्मन भी मेरे मुरीद
दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं।
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रू-ब-रू होने पर सलाम किया करते हैं।
आंखों को पत्थर कर दे
या खुदा रेत के सेहरा को समंदर कर दे
या छलकती हुई आंखों को भी पत्थर कर दे।
मेरी खामोशी पर हैरान क्यों
मुझे खामोश देखकर इतना
क्यों हैरान होते हो ऐ दोस्तो
कुछ नहीं हुआ है बस
भरोसा करके धोखा खाया है!
सितारों तुम तो सो जाओ
हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो ही जाएंगे
अभी कुछ बेकरारी है, सितारों तुम तो सो जाओ...।
किससे करूं शिकवा?
शिकवा करूं तो किससे करूं, ये अपना मुकद्दर है अपनी ही लकीरें हैं।
ना समझ मुझे!
ना कर तू इतनी कोशिशें मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क कर, फिर चोट खा, फिर लिख,दवा मेरे दर्द की।
हाल-ए-दिल
हाल-ए-दिल नहीं मालूम इस कदर यानी
हमने बार-हा ढूंढा तुमने बार-हा पाया।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
कैसी आदत है!
सांस लेना भी कैसी आदत है
जिए जाना भी क्या रवायत है
कोई आहट नहीं बदन में कहीं
कोई साया नहीं आंखों में
पांव बेहिस हैं, चलते जाते हैं
इक सफर है जो बहता रहता है
कितने बरसों से कितनी सदियों से
जिए जाते हैं, जिए जाते हैं...
-गुलज़ार
याद बन जाएगा!
टूट जाएगी तुम्हारी जिद की आदत उस दिन,
जब पता चलेगा कि याद करने वाला अब याद बन गया!
उदासी का सबब
खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं,
जरा-सा हंस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछते हैं।
यूं तो मैं भी...!
झूठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाता,
डुबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने...
संभालें न संभालें
अब आपकी मर्जी है संभालें न संभालें। खुशबू की तरह आपके रुमाल में हम हैं। -मुनव्वर राणा
ग़ज़ल जैसा था!
तुमसे बिछड़ा तो पसन्द आ गयी बेतरतीबी,
इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था!
-मुनव्वर राणा
आह को चाहिए
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होने तक! -मिर्ज़ा ग़ालिब
कयामत तो रोज आती है
अब कयामत से क्या डरे कोई, अब कयामत रोज आती है
भागता हूं मैं ज़िंदगी से खुमार, और नागिन डेसे ही जाती है
आलम इंतजार का
उलफत के मारों से न पूछो आलम इंतजार का
पतझड़ सी है जिंदगी और खयाल बहार का।
ये मोहब्बत कैसी
दिल तोड़कर वो मेरा खश हैं
तो शिकायत कैसी...
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं
तो फिर ये मोहब्बत कैसी...
दर्द देने से डरते हैं
हम तो मजाक में भी किसी को
दर्द देने से डरते हैं
न जाने लोग कैसे सोच-समझकर
दिलों से खेल जाते हैं
न जाने कब इश्क हो जाए
एक न इक रोज़ तो होना है ये जब हो जाए, इश्क का कोई भरोसा नहीं कब हो जाए।- मुनव्वर राणा
गहरी बात
चंद रातों के ख्वाब उम्र भर की नींद मांगते हैं।- गुलज़ार
मौन का रिश्ता है ये
उधर वो बद-गुमानी है, इधर ये ना-तवानी है
न पूछा जाए उससे और न बोला जाए मुझसे।- मिर्जा गालिब
पर आंसू निकल पड़े
मुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह,
जी ख़ुश तो हो गया मगर आंसू निकल पड़े- क़ैफी आजमी
इश्क की किस्मत
इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी, जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में। - कैफी आजमी
दिल के पास
बहुत दूर मगर बहुत पास रहते हो
आंखों से दूर मगर दिल के पास रहते हो
मुझे बस इतना बता दो
क्या तुम भी मेरे बिना उदास रहते हो
शायरी
कभी हम पर वो जान दिया करते थे
जो हम कहते थे, मान लिया करते थे
अब पास से अनजान बनकर गुजर जाते हैं
जो कभी दूर से ही हमें पहचान लिया करते थे
इश्क के मआनी
तेरा वजूद तेरी शख्सियत, कहानी क्या
किसी के काम न आए तो जिंदगानी क्या
हवस है जिस्म की, आंखों से प्यार गायब है
बदल गए हैं सभी इश्क के मआनी क्या
Web Title : Shayri
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